रविवार, 28 मार्च 2010

मैंने अपने २२ बसंत देख लिए.


उस शाम मै बहुत खुश थी होती भी क्यों नहीं मेरे लिए वो दिन जिन्दगी की सबसे महत्वपूर्ण दिनों मे से एक थी दरसल मैंने २० मार्च को अपनी २२ वे बसंत पूरी होने का जसं मन रही थी। बहुत सारे दोस्त तो नहीं थे पर हां कुछ अच्छे दोस्तों का साथ था,माँ,बड़ी दीदी ,छोटी बहिन, और मोहल्ले के ढेर सारे बच्चे थे,जिनके साथ मैंने अपनी जन्मदिन का जसं मनाया,एक दो पौंड का केक, २२ मोमबतिया, और एक मचिश की तीली, ने मेरे जन्मदिन का समां बाँध दिया। मैंने बड़ी मौज मै केक काटी और सबसे पहले अपनी माँ को खिलया उसके बाद केक खीलाने का सिलसिला बड़ी दीदी से लेकर महल्ले के बच्चों तक चलता रहा।

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